Main Atal Hoon:कितनी अटल, कितनी विफल आइये जाने कैसी है

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By N.K

देश के दसवे प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के यशस्वी नेता अटल बिहारी बाजपाई जी के जीवन पर बनी बायोपिक ” मैं अटल हूँ”Main Atal Hoon सिनेमाघरो मैं दस्तक दे चुकी है। इस फिल्म में अटल जी का किरदार जानेमाने अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने निभाया है। साथ में पियूष मिश्रा एक छोटे से मगर दमदार रोल में नजर आ रहे है। फिल्म का निर्देशन रवि जाधव ने किया है। आइये जानते है की ये फिल्म कैसी है।

Main Atal Hoon
Main Atal Hoon

पंकज त्रिपाठी का दमदार अभिनय

पंकज एक सुलझे हुए अभिनेता है और हर किरदार में तह तक जाने की कोशिश करते है। यहाँ भी उन्होंने अटल जी को जीने की पूरी और ईमानदारी भरी कोशिश की है। मगर विडम्बना ये है की अटल जी के व्यक्तित्व को इतने कम समय में जीवंत करना असंभव है।
पंकज त्रिपाठी की अभिनय क्षमता पर कोई सवाल नहीं है लेकिन जहा तक किरदार की बात है तो हमे अटल जी नहीं पंकज ही नजर आये।
हाँ जैसे जैसे Main Atal Hoon फिल्म आगे बढ़ती रही, पंकज अपने किरदार में आने लगे परन्तु जैसा हमने कहा की अटल जी का व्यक्तित्व है ही इतना जीवट की 2.30 घंटे की फिल्म में समाना लगभग असंभव था।
जब तक हम ये महसूस कर पाते की हमारे सामने अटल जी है, फिल्म समाप्त हो जाती है। फिर भी पंकज त्रिपाठी की मेहनत को नजरअंदाज करना पंकज के साथ अन्याय ही कहा जायेगा।

पीयूष मिश्रा का केमीओ

पीयूष मिश्रा की उपस्थिति किसी भी फिल्म को एक अलग ही लेवल पर ले जाती है। पीयूष मिश्रा अटल जी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी की भूमिका में एक छोटे से मगर इम्पैक्टफुल रोल में इस फिल्म में भी दिखाई दिए, और साथ में उनका एक गीत भी फिल्म को एक अलग टेक्सट्चेर देता नजर आता है। पीयूष इस फिल्म में एक बड़े रोल में दिखाई देते तो शायद बात कुछ अलग हो जाती। श्री लाल कृष्ण अडवाणी जी का किरदार पीयूष के लिए मुफीद था और इस फिल्म को जायदा असरदार बना सकता था।

अन्य साथी कलाकारों का सहयोग

अभिनेता राजा रमेशकुमार सेवक (लाल कृष्ण आडवाणी), अभिनेता दया शंकर पांडे (पंडित दीनदयाल उपाध्याय), अभिनेत्री पायल कपूर (इंदिरा गांधी) ,अभिनेता प्रमोद पाठक (श्यामा प्रसाद मुखर्जी), अभिनेत्री पाउला मैकग्लिन (सोनिया गांधी), अभिनेता हर्षद कुमार (प्रमोद महाजन), अभिनेत्री गौरी सुखतंकर (सुषमा स्वराज),अभिनेता हरीश खत्री (जवाहलाल नेहरू), अभिनेता प्रसन्न केतकर (एमएस गोलवलकर) के महत्वपूर्ण किरदारों में नज़र आये है।
इन सब में एक किरदार जो दर्शको को अचंभित करेगा वो है सुषमा स्वराज जी किरदार।अभिनेत्री गौरी सुखतंकर ने साक्षात् सुषमा जी को दर्शको के सामने ला कर खड़ा कर दिया है। आवाज,अंदाज़,हावभाव सबकुछ हूबहू दिखाई देता है और इन सब से ऊपर जो एनर्जी और तेज़ सुषमा जी के चेहरे में नज़र आता था वैसा ही अभिनेत्री गौरी सुखतंकर के अभिनय ने दर्शको महसूस करने पर मजबूर कर दिया अपने बहुत ही छोटे से स्क्रीन टाइम में। अगर सब सही रहा तो इस अभिनेत्री के पास बॉलीवुड को देने के लिए बहुत कुछ है। हमारी शुभकामनाये इस अभिनेत्री के साथ है।

कितनी अटल, कितनी विफल Main Atal Hoon

“अटला” से अटल और फिर अटल से देश के महान प्रधानमंत्री “श्री अटल बिहारी बाजपाई” बनने की पूरी कहानी इस फिल्म में कहने की कोशिश की गई है। मगर ये कोशिश अपनी राह से तब भटक जाती है जब फिल्म में उनके व्यक्तित्व को छोड़ कर बाकि सभी महत्त्वपूर्ण घटनाओ को कवर करने में जायदा स्क्रीन टाइम इन्वेस्ट करने लगती है, और सारी घटनाये एक के बाद एक इतनी तेजी से होती है की हम आत्मसात ही नहीं कर पाते। फिल्म अगर अटल जी के जीवन पर है तो उनके प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना “पोकरण परिक्षण ” और “कारगिल विजय” को थोड़ा स्पेस दिया जाना चाहिए था, लेकिन “सब कुछ” दिखाने की होड़ में ये दोनों घटना अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाती है। रवि जाधव अगर सब कुछ कवर करना चाहते थे तो वे एक फिल्म की जगह वेब सीरीज बना सकते थे, जो शायद एक अच्छा ऑप्शन होता इस कहानी को कहने का। बरहहाल फिल्म की सबसे बड़ी USP ही फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी बन गई।
फिल्म की एडिटिंग चुस्त दुरुस्त है और फिल्म कही रुकी हुई महसूस नहीं होती है। फिल्म में अटल जी की कही सभी ख़ास बातो को सही समय पर सही तरीके से इस्तेमाल भी किया गया है।

Main Atal Hoon क्यों देखे

मैं अटल हूँ मॉस को नहीं क्लास को ध्यान मैं रख कर बनाई गई फिल्म है। अगर आप मसाला फिल्मो से बोर हो चुके है और कुछ बदलाव ढूंढ रहे है तो ये आपके लिए ही है। पंकज त्रिपाठी की लाजवाब एक्टिंग और पीयूष मिश्रा का छोटा सा दमदार परफॉरमेंस, ५ ताजगी भरे गीत के साथ अटल जी को थोड़ा और करीब से जानने का मौका अगर एक साथ मिले तो फिल्म पैसा वसूल कही जा सकती है।

क्यों ना देखे

अगर आप फिल्म के ट्रेलर देख कर बहुत जायदा उम्मीदे पाल चुके है तो फिल्म थोड़ा निराश कर सकती है। इसके अलावा अगर आपको राजनीति का विषय पसंद नहीं है या फिर आप एक मसाला मूवी लवर है तो ये फिल्म आपके लिए कतई नहीं बनी है

Rating 6.5/10

तो दोस्तों बाकि फैसला आपका है हमे जो कहना था वो हम कह चुके, जल्दी फिर मिलेंगे किसी नई फिल्म के रिव्यु के साथ

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