फिल्में जब बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होती हैं, तो उनके हिट या फ्लॉप होने का फैसला उनकी कमाई से हो जाता है. लेकिन जब फिल्में OTT प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज हो रही हैं, तो उनकी कमाई का सिस्टम कुछ हटकर हो जाता है. How OTT films make money? हम इस ब्लॉग में जानेंगे कि फिल्में OTT प्लेटफॉर्म्स पर कैसे कमाई करती है और इस प्रक्रिया में कौन-कौन से कदम होते हैं.

1. डिजिटल और सैटेलाइट राइट्स: help to OTT films make money
फिल्ममेकर्स एक तय कीमत पर ये फिल्में OTT प्लेटफॉर्म्स को उपलब्ध करवाते हैं. इसमें डिजिटल और सैटेलाइट राइट्स शामिल होते हैं, जिनसे फिल्म के निर्माता को एक तय कीमत मिलती है. इस प्रक्रिया में निर्माता और OTT प्लेटफॉर्म के बीच अग्रीमेंट होता है और फिर यह फिल्म प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम होती है.
सरल भाषा मैं समझे तो फिल्म अपनी लागत और लाभ का 70 से 80% हिस्सा सिर्फ डिजिटल राइट्स बेच कर निकाल लेती है और बाकि का बचा हिस्सा सैटेलाइट राइट्स और म्यूजिक राइट्स से निकाल कर अच्छा खासा प्रॉफिट कमा लेती है।
OTT के प्रॉफिट का गणित
फिल्म के निर्माता तो अपने हिस्से का प्रॉफिट बुक करने के बाद अलग हो जाते है, लेकिन यहाँ से शुरू होता है OTT की कमाई का सिलसिला।इस प्रकार के प्लेटफॉर्म्स पर बहुत बड़े बजट की फिल्मे सीधा प्रदर्शित नहीं की जाती है। जो फिल्म 50 से 75 करोड़ के बजट में बनी होती है आमतौर पर ऐसी ही फिल्मे OTT प्लेटफार्म्स पर रिलीज की जाती है, बड़े बजट की फिल्मे पहले थिएटर्स में दिखाई जाती है , उसके बाद ही वो किसी OTT प्लेटफार्म पर दिखाए जाने के लिए उपलब्ध हो पाती है। इसके अलावा कुछ फिल्मो का निर्माण खुद OTT प्लेटफार्म्स करते है।
ऐसी फिल्मे जब इन प्लेटफार्म्स पर रिलीज़ होती है तो इनके दर्शको की संख्या में इजाफा होता है, तब एक सर्विस प्रोवाइडर के रूप में ये प्लेटफार्म्स अलग अलग तरीको से मुनाफा कमाते है।
1. TVOD (Transaction Video On Demand):
TVOD मॉडल में, यूज़र को किसी भी विशिष्ट कॉंटेंट को देखने के लिए एक शुल्क अदा करना पड़ता है। यह शुल्क यूज़र्स द्वारा चुनी हुई फिल्म के लिए होता है और इसे एक बार चुकाना पड़ता है। इस प्रकार का मॉडल उन लोगों के लिए होता है जो किसी खास फिल्म को देखना चाहते हैं और उसके लिए एक-बार का शुल्क चुका सकते हैं।
2. SVOD (Subscription Video On Demand):
SVOD मॉडल में, यूज़र को प्लेटफॉर्म के सभी कॉंटेंट देखने के लिए मंथली या इयरली सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है। हर महीने या साल की एक निश्चित राशि चुकाने के बाद, यूज़र्स प्लेटफॉर्म की पूरी लाइब्रेरी को एक्सेस कर सकते है और वे अनगिनत फिल्में देख सकते हैं।
3. AVOD (Advertising Video On Demand):
AVOD मॉडल में, यूज़र को किसी भी फिल्म को देखने के लिए पैसे नहीं चुकाने पड़ते हैं, लेकिन उन्हें विज्ञापनों को देखना पड़ता है। विज्ञापनों के माध्यम से होने वाली कमाई से प्लेटफॉर्म यूज़र को नि:शुल्क कंटेंट प्रदान करता है,यूट्यूब इसका उदाहरण है।
इस प्रकार इस बिज़नेस मॉडल में पहले पैसा खर्च किया जाता है कंटेंट खरीदने में और फिर वो ही कंटेंट हज़ारो लाखो की संख्या में यूज़र्स को बेच कर पैसा बनाया जाता है।
तो आपको ये जानकारी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताइयेगा
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